DRDO Kya Hai | डीआरडीओ में कैसे मिलती है नौकरी , मुख्य कार्य जाने पूरी जानकारी

भारत की सुरक्षा अगर एक मजबूत दीवार है तो DRDO उसकी नीव है यह संस्था उन तकनीकों को बनाती है जो हमारे सैनिकों को युद्ध के मैदान में अजेय बनाती है DRDO ना केवल मिसाइल और हथियार बनाता हैं बल्कि देश को टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर भी बनाता है। अगर आप भी विज्ञान में रुचि रखते हैं और देश की सेवा का जज़्बा रखते हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको DRDO Kya Hai से जुड़ी हर जरूरी आसान भाषा में समझाएंगे इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़े

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DRDO Kya Hai?

DRDO एक वैज्ञानिक संगठन है जो भारत की सेना के लिए रक्षा तकनीक और सिस्टम का विकास करता है इसे आप ऐसे समझिए जैसे यह संस्था देश की सुरक्षा के लिए टेक्नोलॉजी का सेनानी है इसका काम केवल हथियार बनाना नहीं बल्कि ऐसे टेक्नोलॉजी तैयार करना है जो सेना को हर मोड़ पर मजबूत बना सके DRDO साइंस और इंजीनियरिंग को मिलाकर कुछ ऐसा बनता है जिससे दुश्मन पीछे हटे और भारत आगे बढ़े आज के आधुनिक युद्ध में केवल ताकत नहीं तकनीक भी जरूरी है और DRDO इसकी जरूरत को पूरा करता है इसकी खोज और रिसर्च केवल मशीनों तक सीमित नहीं होती यह संस्था देश की रक्षा नीति को भी टेक्नोलॉजी से जोड़ती है DRDO युवाओं के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान के माध्यम से देश सेवा करना चाहते हैं

DRDO की फुल फॉर्म

DRDO का मतलब केवल उसका नाम जानना नहीं बल्कि उसे समझाना भी है इसकी फुल फॉर्म Defence Research and Development Organisation है जो नाम के मुताबिक रक्षा से जुड़ी रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट करता है जब हम इसकी फुल फॉर्म पर ध्यान देते हैं तो तीन मुख्य बातें निकलती है Defence यानी देश की रक्षा Research यानी गहराई से वैज्ञानिक अध्ययन और Development यानी नई चीजों का निर्माण इन तीनों का मेल ही DRDO को खास बनाता है यह केवल शब्द नहीं है बल्कि भारत की टेक्नोलॉजिकल स्वतंत्रता की नीव है

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DRDO के मुख्य कार्य क्या हैं

दोस्तों अब जानते हैं DRDO के मुख्य कार्य DRDO के मुख्य कार्य केवल रक्षा से जुड़ी चीज बनाना नहीं है बल्कि यह तय करता है कि हमारी सेना भविष्य की तकनीको से लैस रहे यह संस्था ऐसे सिस्टम बनती है जो युद्ध के समय तुरंत रिस्पांस दे सके चाहे वह मिसाइल हो या इलेक्ट्रॉनिक वाॅरफेयर सिस्टम इसके अलावा DRDO पर्यावरण ,बायोटेक्नोलॉजी एयरोस्पेस और रोबोटिकस जैसे क्षेत्रों में भी कार्य करता है यह सेना की जरूरत के अनुसार कस्टमाइज टेक्नोलॉजी भी डेवलप करता है DRDO का एक कार्य यह भी है कि वह समय समय पर पुराने हथियारों और सिस्टम को अपग्रेड करता है इसके साथ ही यह संस्था भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट्स पर कार्य करती है ताकि भारत हाल के लिए तैयार रहे

DRDO की स्थापना कब और क्यों हुई थी?

DRDO की शुरुआत 1958 में तब हुई थी जब भारत स्वतंत्र तो हो गया था लेकिन रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर नहीं था उस समय भारत को विदेशी हथियारों पर निर्भर रहना पड़ता था जो एक कमजोर स्थिति थी ऐसे में देश को एक ऐसे संगठन की जरूरत थी जो हमारी रक्षा जरूरत को समझ कर भारत में ही तकनीक विकसित करें DRDO की स्थापना इसी सोच के साथ हुई कि देश को अपने हथियार रडार और अन्य रक्षा प्रणाली खुद बनानी होगी उसे दौर में यह बहुत बड़ा कदम था क्योंकि हमारे पास संस्थान कम थे लेकिन इरादे मजबूत थे DRDO की नींव देश को वैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाने के लिए रखी गई थी और आज यह इस मिशन पर लगातार आगे बढ़ रहा है

DRDO का मुख्यालय (Headquarters) कहां है?

DRDO का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है जो इसका कमांड सेंटर माना जाता है यहां से पूरे देश में फैली DRDO की सभी लैब और प्रोजेक्ट्स की निगरानी और योजना बनाई जाती है DRDO के 50 से अधिक लैब्स है लेकिन उनका संपर्क और संचालन इसी हेडक्वार्टर से होता है यह स्थान केवल एक ऑफिस नहीं बल्कि एक स्ट्रैटेजिक ब्रेन है जहां से बड़ी बड़ी तकनीकी योजनाएं बनाई जाती है मुख्यालय में विभिन्न डिवीजन होते हैं जैसे मिसाइल डिवीजन, एरोप्लेन डिवीजन ,इलेक्ट्रॉनिक्स डिविजन आदि यहां काम करने वाले वैज्ञानिक और अधिकारी सीधे भारत की रक्षा नीति को तकनीकी से जोड़ने में लगे रहते हैं यह स्थान देश की सुरक्षा तकनीक का nerve center माना जाता है

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DRDO में नौकरी कैसे पाएं?

अगर आप विज्ञान रिसर्च और देशभक्ति में रुचि रखते हैं तो DRDO में नौकरी आपके लिए एक बेहतरीन करियर विकल्प हो सकता है DRDO में वैज्ञानिक टेक्निकल और एडमिनिस्ट्रेटिव सभी तरह की पोस्टस होती है जहां काम करने का मतलब है देश की सुरक्षा के लिए तकनीक के साथ सेवा करना DRDO में नौकरी पाने के लिए आपको कुछ खास एग्जाम या प्रक्रिया से गुजरना होता है यह जॉब्स योग्यता के अनुसार मिलती है और हर साल हजारों युवा इन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं डीआरडीओ में ज्वाइन करने के तीन मुख्य रास्ते है जैसे

1. GATE की परीक्षा से DRDO जॉइन करें

    अगर आप इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं और GATE का एग्जाम पास करते हैं तो आपके लिए डीआरडीओ में वैज्ञानिक B ग्रेड की पेस्ट पाने का रास्ता खुल जाता है डीआरडीओ हर साल GATE स्कोर के आधार पर रिक्रूटमेंट करता है जिसे RAC हैंडल करता है इस प्रक्रिया में पहले GATE स्कोर के आधार पर शॉर्टलिस्ट होती है फिर इंटरव्यू होता है जहां टेक्निकल स्किल्स रिसर्च एबिलिटी और सोचने की क्षमता को जाँचा जाता है GATE के माध्यम से ज्वाइन करने वालों को वैज्ञानिक के तौर पर DRDO की रिसर्च सिलेबस में काम करने का मौका मिलता है यह पोस्ट परमानेंट होती है और ग्रंथ के साथ रिस्पेक्ट भी बहुत होता है

    2. CEPTAM के माध्यम से DRDO जॉइन करें

      CEPTAM DRDO की एक यूनिट है जो टेक्निकल एडमिन और मल्टीटास्किंग स्टॉक की भर्ती करती है इसमें 10 वीं और 12 वीं ग्रेजुएशन और डिप्लोमा होल्डर्स के लिए भी कई तरीके की पोस्ट होती है CEPTAM एग्जाम में जनरल नॉलेज रीजनिंग मैथ और टेक्निकल सब्जेक्टस से सवाल आते हैं यह प्रक्रिया GATE जितना कठिन नहीं होती इसलिए काफी स्टूडेंट इसे चुनते है CEPTAM से ज्वाइन करने के बाद उम्मीदवारों को DRDO के अलग अलग यूनिट्स में नियुक्त किया जाता है इस रास्ते से आने वाले कर्मचारी संगठन के अहम सपोर्ट सिस्टम का हिस्सा बनते हैं

      3. SET के माध्यम से DRDO जॉइन करें

        DRDO SET पहले DRDO द्वारा वैज्ञानिक B ग्रेड के लिए आयोजित किया जाता था लेकिन अब इसकी जगह GATE ने ले ली है हालांकि कुछ खास मामलों में DRDO SET जैसे इंटरनल टेस्ट भी आयोजित कर सकता है इस परीक्षा का पैटर्न GATE से मिलता जुलता होता था लेकिन पूरी तरह DRDO के अनुसार यदि भविष्य में DRDO फिर से SET शुरू करता है तो यह इंजीनियरिंग और साइंस बैकग्राउंड के छात्रों के लिए एक शानदार मौका होगा इस परीक्षा से सफल उम्मीदवारों को सीधे वैज्ञानिक के तौर पर नियुक्त किया जाता था अगर आप DRDO को टारगेट कर रहे हैं तो सेट से जुड़े अपग्रेड पर नजर रखना जरूरी है

        DRDO द्वारा बनाए गए प्रमुख हथियार और तकनीक

        DRDO ने भारत की सेनो को हाईटेक और घातक हथियारों से लैस किया है इसमें सबसे प्रसिद्ध है अग्नि और पृथ्वी मिसाइल सिस्ट जो दुश्मनों के लिए चेतावनी की तरह माने जाते हैं इसके अलावा तेजस फाइटर जेट। पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लांचर और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम जैसे बड़े प्रोजेक्ट DRDO की देन है DRDO ने रडार ड्रोन इलेक्ट्रॉनिक वायरलेस सिस्टम और बॉडी आर्मर तक तैयार किया है कुछ रिसर्च प्रोजेक्ट्स अंडरवाटर मिसाइल्स और लेजर वेपन सिस्टम से जुड़े है DRDO की तकनीक केवल युद्ध में ही नहीं प्राकृतिक आपदा बायो रिसर्च और स्वास्थ्य सेवाओं में भी काम आई है यह संस्था लगातार भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रही है

        ISRO और DRDO में क्या अंतर है?

         तुलना का आधार ISRODRDO
        स्थापना वर्ष19691958
        मुख्यालयबेंगलुरु, कर्नाटकनई दिल्ली
        अधीन मंत्रालयअंतरिक्ष विभाग (Department of Space)रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence)
        मुख्य उद्देश्यअंतरिक्ष अनुसंधान और सैटेलाइट तकनीकरक्षा तकनीक और हथियार विकास
        प्रमुख प्रोजेक्ट्सचंद्रयान, मंगलयान, PSLV, GSLVअग्नि, पृथ्वी, तेजस, आकाश, पिनाका
        काम का क्षेत्रशांति और वैज्ञानिक शोध (Non-Military)सामरिक और सैन्य रिसर्च (Military Oriented)
        प्रभाव क्षेत्रस्पेस एक्सप्लोरेशन, टेलीकम्युनिकेशन, रिमोट सेंसिंगरक्षा प्रणालियाँ, मिसाइल, रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर
        करियर विकल्पवैज्ञानिक, सैटेलाइट इंजीनियर, स्पेस रिसर्चरवैज्ञानिक, रक्षा इंजीनियर, टेक्निकल और एडमिन स्टाफ
        लोकप्रिय वैज्ञानिकडॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. के. सिवनडॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. सतीश रेड्डी
        फोकस का नेचररिसर्च और इनोवेशन फॉर स्पेससामरिक मजबूती और आत्मनिर्भर डिफेंस सिस्टम

        DRDO में कौन-कौन से वैज्ञानिक और महान लोग जुड़े हैं?

        • डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
        • डॉ. जी. सतीश रेड्डी
        • डॉ. वी. के. सारस्वत
        • डॉ. टेसी थॉमस
        • डॉ. के. श्रीधरन

        DRDO का भारत की रक्षा में योगदान

        DRDO ने भारत की रक्षा नीति को आत्मनिर्भर बनाने में क्रांतिकारी योगदान दिया है जहां पहले भारत को रक्षा तकनीक के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था वही आज DRDO की वजह से हम अपने मिसाइल रडार ,हथियार और फाइटर जेट खुद बना रहे हैं इससे ना केवल विदेशी खर्चों में बचत हुई है बल्कि भारत की रक्षा ताकत भी कई गुना बढ़ गई है DRDO ने देश को बायोलॉजिकल और साइबर सुरक्षा में भी मजबूत बनाया है कोडिंग के समय DRDO ने PPE किट और मेडिकल उपकरण बनाए थे यह संस्था हमेशा देश की जरूरत के समय खड़ी रहती है चाहे वह युद्ध हो या महामारी DRDO ने भारत को तकनीकी रूप से स्वतंत्र और सामरिक रूप से शक्तिशाली बना दिया है

        FAQs

        प्रश्न – DRDO में नौकरी पाने के लिए कौन सी डिग्री चाहिए ?
        उत्तर – इंजीनियरिंग ,साइंस या टेक्निकल फील्ड में डिग्री जरूरी होती है

        प्रश्न – क्या DRDO सरकारी नौकरी है?
        उत्तर – हाँ पूरी तरह से सरकारी संस्था है जो रक्षा मंत्रालय के तहत आती है

        प्रश्न – क्या DRDO में 12 वी पास भी आवेदन कर सकते हैं ?
        उत्तर – हां CEPTAM के माध्यम से 10 वीं और 12 वीं पास के लिए भी पद होते है

        प्रश्न – क्या DRDO का एग्जाम मुश्किल होता है?
        उत्तर – अगर तैयारी अच्छी हो तो एग्जाम क्लियर करना संभव है

        प्रश्न – DRDO और ISRO में कौन सा बेहतर है
        उत्तर – दोनों का काम अलग है आपको अपनी रुचि के अनुसार चुनना चाहिए

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