Home Rule Movement Kya Hai | होम रूल आंदोलन का इतिहास, कारण, महत्व पूरी जानकारी

क्या कभी आपने सोचा है कि वो पहली चिंगारी कौन सी थी जिसने भारत की आजादी की मिशाल जमाई Home Rule Movement वही शुरुआत थी जब भारतीयों ने कहा अब और नहीं यह केवल आंदोलन नहीं था बल्कि आत्मसम्मान की पहली पुकार थी इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि home Rule Movement kya hai इसके पीछे की सोच क्या थी कौन लोग इससे जुड़े थे और इसने भारत को कैसे बदला अगर आप आजादी की असली जड़े समझना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें

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Home Rule Movement Kya Hai

Home Rule Movement भारत के लिए एक मोड़ था जहां भारत में पहली बार खुले आम कहा कि हमें अपने देश खुद चलना है यह आंदोलन पूरी आजादी की मांग नहीं कर रहा था बल्कि यह चाहता था कि भारतीयों को अपनी सरकार बनाने का अधिकार मिले यह एक ऐसा कदम था जिसे हर आम भारतीय को बताया कि हम केवल अंग्रेजी के आदेश मानने वाले नहीं बल्कि सोचने और बोलने वाले लोग हैं इस आंदोलन ने राजनीतिक समाज को गहराई दी और आत्म सम्मान का बीज बोया इसके माध्यम से भारतीय को यह यकीन हुआ कि उनका भी कोई वजूद है यह केवल नेताओं का नहीं आम जनता की आवाज बन गया भारत के इतिहास में इसे बदलाव का बीज कहा जा सकता है

Home Rule Movement का इतिहास

अगर आप भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को ध्यान से देखे तो Home Rule Movement उस समय आया जब देश में के बदलाव की आहट थी 1905 का बंगाल विभाजन कांग्रेस में नरम और गरम दल की खीचतान और विश्व और राजनीति के बदलते हालात ने भारतीयों को सोचने पर मजबूर किया लोग अंग्रेजों से सवाल पूछने लगे हमें क्यों नहीं सुना जाता इसी माहोल में यह आंदोलन उभरा यह कोई एक दिन का फैसला नहीं था बल्कि वर्षों की बेचैनी और विचारों का नतीजा था यह इतिहास का वह बना है जिसने स्वतंत्रता की कहानी को नई दिशा दी यहां से राजनीतिक सोच का स्तर बदलने लगा

Home Rule Movement की शुरुआत कैसे हुई?

हर क्रांति की एक चुप शुरुआत होती है कुछ सवालों से कुछ भावनाओं से Home Rule Movement भी ऐसे ही मन की बेचैनी से शुरू हुआ जब लोगों ने देखा कि उनके देश के फैसले कोई और ले रहा है तो यह सवाल उठा क्या हमें अपनी जिंदगी पर हक नहीं एनी बेसेंट ने इस सवाल को अंग्रेज होते हुए भी आवाज दी और तिलक ने उसे जमीन पर उतारा इसकी शुरुआत नारे से नहीं सोच से हुई थी सोच थी अब केवल देखना नहीं कुछ करना है धीरे धीरे आंदोलन केवल विचार नहीं जनता की उम्मीद बन गया और यहीं से इसकी असल शुरुआत मानी जाती है

Home Rule Movement के प्रमुख नेता कौन थे?

अगर कोई आंदोलन दिल तक पहुंचता है तो उसके पीछे कुछ चेहरे जरूर होते हैं Home Rule Movement मैं भी ऐसे कई चेहरे थे जिन्होंने लीडर होकर आवाज उठाई बाल गंगाधर तिलक जिनकी बातें लोगों के दिलों को छू जाती थी उन्होंने कहा था स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है दूसरी तरफ एनी बेसेंट थी जिनका जुड़ाव इस देश से दिल से था ना कि रंग या भाषा से इनके अलावा मोहम्मद अली जिन्ना ,वीडिया ,खापर्डे जैसे नेता भी थे जिन्होंने इस आंदोलन को आकार दिया यह केवल भाषण देने वाले लोग नहीं थे यह वह लोग थे जिन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि कुछ बदल सकता है इनका नेतृत्व ही आंदोलन की जान बना

Home Rule Movement कब और कहाँ शुरू हुआ?

कई बार कोई बड़ी बात किसी खास जगह से शुरू होती है बल्कि एक सोच से निकलती है जो हर जगह फैल जाती है की शुरुआत किसी एक तारीख या शहर से बांधना मुश्किल है क्योंकि इसकी न्यू जनता के मन में पहले ही पड़ चुकी थी हां आंदोलन को शक्ल 1916 में मिली लेकिन उसका 20 तो पहले बोया जा चुका था पुणे हो या मद्रास यह आंदोलन हुआ नहीं बल्कि हर उसे इंसान के दिल में शुरू हुआ जो खुद को कमजोर महसूस कर रहा था इसकी ऐसे शुरुआत वह दिन था जब किसी ने सोचा अब बहुत हो गया और यही सोच धीरे धीरे पूरे देश में फैल गई

Home Rule Movement का मुख्य उद्देश्य क्या था?

इस आंदोलन का असली उद्देश्य केवल एक बात थी भारत को उसका हक़ दिलवाना अंग्रेजों की सरकार में भारतीय केवल आदेश मानने वाले बन गए थे लेकिन इस आंदोलन ने कहा कि अब हमें अपने फैसले खुद लेना चाहिए उद्देश्य यह नहीं था कि अंग्रेजों को अभी के अभी भगा दिया जाए बल्कि यह था कि हमें ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ही समाज शासन का अधिकार मिल जाए इससे भारतीयों को प्रशासन ,कानून शिक्षा जैसे क्षेत्रो में भागीदारी मिलती ह आंदोलन ने बताया कि हम केवल प्रजा नहीं नागरिक है यह सोच किसी भी गुलामी से बड़ी होती है इस उद्देश्य ने पूरे देश को जोड़ा और आत्म सम्मान की आग जलाई

Home Rule Movement की प्रमुख माँगें क्या थीं?

Home Rule Movement मैं अपनी बात बहुत साफ और ठोस तरीके से रखी थी सबसे पहली मांग थी भारत को स्वशासन का अधिकार मिले यानी भारत अपने लिए खुद कानून बना सके इसके अलावा मांग की गई कि भारतीयों को प्रेस की स्वतंत्रता जनता की भागीदारी और समान अधिकार दिए जाएं ब्रिटिश सरकार से यह भी कहा गया था कि भारत में संसदीय शासन प्रणाली की शुरुआत होनी चाहिए इन भागों के पीछे कोई गुस्सा नहीं बल्कि तर्क और समझदारी थी आंदोलन का तरीका शांतिपूर्ण था लेकिन उसकी आवाज बहुत बुलंद थी इन मांगो ने अंग्रेजी शासन की नीव को हिलाकर रख दिया

Home Rule Movement का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?

Home Rule Movement ने भारत की राजनीतिक जमीन को हिलाकर रख दिया पहली बार गांव गांव शहर शहर में लोग राजनीति के मुद्दों पर सोचने लगे जो लोग पहले अंग्रेजों की सरकार को स्थाई मानते थे अब वह सोचने लगे कि बदलाव मुमकिन है इस आंदोलन ने आम जनता में राजनीतिक जागरूकता पैदा की जो आजादी की लड़ाई के लिए बेहद जरूरी थी कांग्रेस जैसी पार्टी भी अब ज्यादा सक्रिय होने लगी छात्रों महिलाओं और शिक्षक युवाओं में जोश भर गया यह आंदोलन एक अलार्म था जो सो रहे थे उन्हें जगाने के लिए इसके बाद आजादी केवल सपना नहीं रही बल्कि लक्ष्य बन गई

Congress और Home Rule Movement का संबंध

शुरुआत में कांग्रेस थोड़ी धीमी और नरम पॉलिसी पर चल रही थी लेकिन Home Rule Movement ने उसमें नई जान भार दी कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इस आंदोलन का समर्थन किया क्योंकि यह पार्टी की सोच से मेल खाता था एनी बेसेंट खुद कांग्रेस की अध्यक्ष बनी और उन्होंने कांग्रेस को ज्यादा जनता के करीब लाया कांग्रेस और Home Rule Movement ने मिलकर भारत की आजादी की बुनियाद को और मजबूत किया इस गठजोड़ से भारत में राजनीतिक जागरूकता और तेजी से फैली यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर Home Rule Movement ने रास्ता दिखाया तो कांग्रेस ने उसे रास्ते पर चलना सीखा

Home Rule Movement और Irish Home Rule का कनेक्शन

Home Rule Movement का विचार भारत में बिल्कुल नया नहीं था इसकी प्रेरणा आयरलैंड से ली गई थी आयरलैंड के लोग भी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ होमरूल की मांग कर रहे थे यानी उन्होंने अपने देश का खुद प्रशासन चाहिए था एनी बेसेंट जो आयरिश मॉल की थी उन्होंने भारत में भी वही सोच लागू की उन्हें मालूम था कि अगर आयरलैंड में यह संभव हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं इस आंदोलन का तरीका सोच और मांगे काफी हद तक आयरिश आंदोलन से मिलती जुलती थी इससे भारत में नेताओं को भी यह समझ में आया है कि बिना हिंसा के राजनीतिक दबाव से भी अधिकार हासिल किया जा सकते हैं इसी कनेक्शन ने भारत की आजादी की राह को और स्पष्ट किया

Home Rule Movement से जुड़ी रोचक बातें और फैक्ट्स

एनी बेसेंट ने आंदोलन से पहले अख़बार शुरू किया जिसका नाम था न्यू इंडिया इसमें वह अंग्रेज सरकार की नीतियों की आलोचना करती थी और भारतीयों को जागरूक करती थी

  • Home Rule League की शाखा देश भर में 200 से ज्यादा जगह पर खुल चुकी थी इसमें आम जनता में राजनीतिक सोच का विस्तार हुआ
  • एनी बेसेंट खुद ब्रिटिश थी लेकिन उन्होंने भारत की आजादी के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दिए अपने आप में एक प्रेरणादायक बात है
  • बाल गंगाधर तिलक जब माडले जेल से लौटे तो उन्होंने पहला बड़ा अभियान होमरूल मूवमेंट के माध्यम से ही चलाया
  • उसे दौर में राजनीति में महिलाओं और छात्रों की भागीदारी बहुत कम थी लेकिन इस आंदोलन ने उन्हें भी सक्रिय भूमिका दी
  • अंग्रेज सरकार को जब आंदोलन की ताकत का एहसास हुआ तो उन्होंने एनीमेशन को नजर बंद कर दिया इससे जनता में गुस्सा और तेज होगा
  • होम रूल मूवमेंट ने साबित किया कि बिना हिंसा के भी एक बड़ा आंदोलन चलाया जा सकता है यही सोच आगे चलकर गांधी जी के आंदोलनो में भी दिखी

Home Rule Movement से हमें क्या सीख मिलती है

  • हक मांगना शर्म नहीं हक बनता है
  • शांतिपूर्ण तरीके से भी क्रांतिकारी लाई जा सकती है
  • शिक्षा और विचार भी हथियार हो सकते हैं
  • एकता में बड़ी ताकत होती है
  • हर आंदोलन मंजिल तक न सही पर रास्ता जरूर बनाता है
  • देशप्रेम जन्म से नहीं, भावना से आता है

FAQs

प्रश्न – क्या होम रूल मूवमेंट सफल रहा ?
उत्तर – यह सीधे आजादी नहीं दिला सका लेकिन आजादी की नीव मजबूत कर गया

प्रश्न – क्या यह आंदोलन शांतिपूर्ण था
उत्तर – हां यह पूरी तरह अहिंसात्मक और विचारों पर आधारित आंदोलन था

प्रश्न – क्या इसमें आम जनता शामिल थी ?
उत्तर – हां इसमें छात्र महिलाएं किसान और शिक्षक भी शामिल थे

प्रश्न – गांधी जी का क्या रोल था ?
उत्तर – गांधी जी ने इसका समर्थन किया पर सीधे भाग नहीं लिया

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