एक जिले का प्रशासनिक संचालन जिस अधिकारी के हाथ में होता है, उसे कलेक्टर कहा जाता है। यह पद न केवल ज़िम्मेदारियों से भरा होता है, बल्कि इसमें जनता और सरकार के बीच सेतु बनने की भूमिका भी शामिल होती है। जिले में आपदा प्रबंधन से लेकर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन तक, कलेक्टर को हर जरूरी काम की निगरानी करनी होती है
चाहे बात भूमि अधिग्रहण की हो या कर वसूली की, आम लोगों की समस्याओं का समाधान हो या कानून व्यवस्था बनाए रखने का मुद्दा हर पहलू में कलेक्टर की भूमिका अहम होती है। इसके अलावा राज्य सरकार तक ज़िले की सही जानकारी पहुंचाना भी इस पद की ज़िम्मेदारी में आता है। अगर कोई युवा प्रशासनिक सेवा में जाकर समाज को बेहतर बनाने का सपना रखता है, तो कलेक्टर बनना उसके लिए एक बेहतरीन लक्ष्य हो सकता है
यह भी पढ़े :- Postman Kaise Bane
इस आर्टिकल में हमने आपको Collector Kaise Bane की प्रक्रिया, आवश्यक योग्यता, परीक्षा का ढांचा, वेतन और काम से जुड़ी सभी जानकारियाँ विस्तार से बताई है इस लिए इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़े
Collector कैसे बने ?
कलेक्टर बनने के लिए उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (Graduation) उत्तीर्ण होना आवश्यक होता है। चाहे वह कला, विज्ञान या वाणिज्य किसी भी स्ट्रीम से हो डिग्री होना जरूरी है। यह योग्यता UPSC परीक्षा के लिए पात्रता तय करती है। ग्रेजुएशन के बाद ही अभ्यर्थी सिविल सेवा परीक्षा में बैठ सकते हैं। हालांकि, कई छात्र अपनी डिग्री के साथ-साथ ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं, जिससे समय की बचत होती है UPSC जैसी कठिन परीक्षा को क्रैक करने के लिए विषय चयन और गहरी समझ जरूरी होती है। शिक्षा ही इस पद तक पहुंचने की पहली सीढ़ी मानी जाती है
परीक्षा पैटर्न
इस पद को पाने के लिए उम्मीदवारों को तीन महत्वपूर्ण चरणों से होकर गुजरना होता है, जिनमें हर स्तर पर चयन की प्रक्रिया और गहनता बढ़ती जाती है। सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा होती है, जो उम्मीदवार की सामान्य समझ, रीजनिंग और बेसिक नॉलेज को जांचने के लिए होती है। इसे पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में बुलाया जाता है, जहां विषय से जुड़ी विस्तृत जानकारी, प्रशासनिक सोच और निर्णय क्षमता को परखा जाता है
अंत में जो उम्मीदवार मुख्य परीक्षा में सफल होते हैं, उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। साक्षात्कार में अभ्यर्थी के व्यवहार, आत्मविश्वास और काम को लेकर सोच को जांचा जाता है। तीनों स्तरों पर प्रदर्शन को मिला कर ही अंतिम चयन तय होता है। हर चरण में ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि यह सिर्फ ज्ञान नहीं बल्कि समर्पण और सोचने के तरीके की परीक्षा होती है
1. प्रारंभिक परीक्षा
प्रारंभिक परीक्षा हर साल जून से अगस्त के बीच आयोजित की जाती है, जिसमें दो पेपर होते हैं। पहला पेपर सामान्य अध्ययन से जुड़ा होता है और दूसरा सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट दोनों पेपर 250-250 अंकों के होते हैं और वस्तुनिष्ठ प्रकार के होते हैं। परीक्षा का उद्देश्य अभ्यर्थियों की बुनियादी समझ और विश्लेषण क्षमता को परखना होता है। जो उम्मीदवार इस चरण को सफलतापूर्वक पार करते हैं, उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए योग्य माना जाता है।
2. मुख्य परीक्षा
मुख्य परीक्षा आमतौर पर वर्ष के अंत में आयोजित की जाती है, जिसका समय दिसंबर से जनवरी के बीच होता है। यह चरण चयन प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है।
3. साक्षात्कार
मुख्य परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को अंतिम चरण यानी साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाता है। यह इंटरव्यू कुल 750 अंकों का होता है, जिसमें अभ्यर्थियों की सोच, व्यक्तित्व और निर्णय क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है। चयन की अंतिम सूची इन्हीं तीनों चरणों के अंकों के आधार पर तैयार होती है। सफल उम्मीदवार को फिर संबंधित पद पर नियुक्त किया जाता है।
Collector बनने के लिए योग्यता
- Collector बनने के लिए उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना ज़रूरी है। केवल भारतीय नागरिकों को ही UPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में बैठने का अधिकार मिलता है, जो इस पद तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता है।
- उम्मीदवार के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री होनी चाहिए। विषय कोई भी हो सकता है – कला, विज्ञान, वाणिज्य या इंजीनियरिंग, सभी योग्य माने जाते हैं।
- सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम 32 वर्ष निर्धारित की गई है। OBC, SC/ST उम्मीदवारों को सरकारी नियमों के अनुसार आयु में छूट दी जाती है।
- चूंकि प्रशासनिक सेवाओं में कठिन परिस्थिति में कार्य करना पड़ता है, इसलिए मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना ज़रूरी है। चयन के दौरान मेडिकल टेस्ट भी होता है।
- Collector बनने के लिए उम्मीदवार को UPSC की तीनों परीक्षाओं – प्रारंभिक परीक्षा , मुख्य परीक्षा , और साक्षात्कार को सफलतापूर्वक पास करना होता है।
- उम्मीदवार का चरित्र अच्छा होना चाहिए और चयन से पहले पुलिस वेरिफिकेशन भी किया जाता है। यह प्रक्रिया प्रशासनिक जिम्मेदारियों को देखते हुए अनिवार्य होती है।
सैलरी
लेक्टर की मासिक सैलरी ₹56,100 से शुरू होकर ₹1,77,500 तक हो सकती है।
इसके अलावा उन्हें सरकारी आवास, वाहन, DA, HRA और अन्य भत्ते भी मिलते हैं।
राज्य और अनुभव के आधार पर सैलरी में थोड़ा अंतर हो सकता है।
Collector के कार्य
- कलेक्टर जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो सभी विभागों की निगरानी और समन्वय करता है।
- भूमि संबंधी मामलों की निगरानी, राजस्व वसूली और रिकॉर्ड संधारण की ज़िम्मेदारी कलेक्टर के अंतर्गत आती है।
- जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन और मजिस्ट्रेट स्तर पर कार्रवाई का निरीक्षण करता है।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, पंचायत जैसे सभी सरकारी विभागों के बीच तालमेल स्थापित करना कलेक्टर की प्रमुख भूमिका होती है।
- किसी भी प्राकृतिक आपदा या संकट की स्थिति में राहत और पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- जिला स्तर पर अधीनस्थ न्यायालयों और विधिक प्रक्रिया की देखरेख करना।
- जिले में होने वाले सभी स्थानीय और राष्ट्रीय चुनावों की निष्पक्ष और शांतिपूर्ण प्रक्रिया का संचालन कराना।
- जन शिकायत निवारण: नागरिकों की समस्याएं सुनना, उनसे संबंधित अधिकारियों को निर्देश देना और समाधान सुनिश्चित करना।
- जिले में चल रही विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा और समय पर कार्य पूर्ण कराना।
- राज्य व केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाना और उनका पालन सुनिश्चित कराना।
FAQs
प्रश्न: कलेक्टर कौन होता है?
उत्तर: कलेक्टर ज़िले का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है जो कानून व्यवस्था, विकास कार्यों और राजस्व विभाग की निगरानी करता है।
प्रश्न: कलेक्टर कैसे बनते हैं?
उत्तर: कलेक्टर बनने के लिए UPSC की सिविल सर्विस परीक्षा पास करनी होती है, जिसके बाद IAS अधिकारी के रूप में नियुक्ति होती है।
प्रश्न: कलेक्टर की पढ़ाई क्या होनी चाहिए?
उत्तर: किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन (BA, BSc, BCom आदि) ज़रूरी होता है।
प्रश्न: कलेक्टर की उम्र सीमा क्या होती है?
उत्तर: सामान्य वर्ग के लिए 21 से 32 वर्ष, OBC को 3 साल और SC/ST को 5 साल की छूट मिलती है।
प्रश्न: कलेक्टर की सैलरी कितनी होती है?
उत्तर: शुरुआती स्तर पर कलेक्टर की सैलरी ₹56,100 से ₹1,77,500 तक होती है, इसके अलावा सरकारी भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं।
प्रश्न: कलेक्टर और DM में क्या फर्क होता है?
उत्तर: दोनों एक ही पद हैं, बस कुछ राज्यों में ‘कलेक्टर’ कहा जाता है और कुछ में ‘DM’ यानी District Magistrate।
प्रश्न: क्या कलेक्टर बनने के लिए कोचिंग ज़रूरी है?
उत्तर: कोचिंग ज़रूरी नहीं, लेकिन सही गाइडेंस, सही रणनीति और सिलेबस की समझ बहुत ज़रूरी होती है।
प्रश्न: क्या कलेक्टर के पास पुलिस का कंट्रोल होता है?
उत्तर: हां, ज़िले के कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में कलेक्टर को पुलिस विभाग से तालमेल बिठाकर कार्य करना होता है