Bharat Ki Rashtrabhasha Kya Hai | जानें संविधान में क्या लिखा गया है

भारत जैसे विशाल और बहुभाषी देश में हिंदी को लेकर एक आम धारणा है कि यह राष्ट्रभाषा है। देश के अधिकांश हिस्सों में लोग हिंदी को आसानी से समझते और बोलते हैं, यही वजह है कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर विशेष महत्व प्राप्त है। लेकिन यह एक भ्रम है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, क्योंकि अब तक इसे संविधानिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343 हिंदी को केवल ‘आधिकारिक भाषा’ के रूप में मान्यता देता है, जिसका प्रयोग केवल सरकारी कार्यों में किया जाता है। संविधान में ‘राष्ट्रभाषा’ शब्द का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, जिससे यह विषय और भी दिलचस्प हो जाता है। भारत में भाषा का प्रश्न केवल संचार का मामला नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और एकता का भी मामला है।

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इस लेख के माध्यम से यह समझने की कोशिश की जाएगी कि bharat ki rashtrabhasha kya hai तथा संविधान में भाषाओं की भूमिका कितनी व्यापक है। यह जानकारी विद्यार्थियों, परीक्षार्थियों एवं जागरूक नागरिकों के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है। आइये गहराई से जानते हैं कि भारत की राष्ट्रभाषा के बारे में वास्तविकता क्या है

राष्ट्रभाषा किसे कहते है

राष्ट्रभाषा उस भाषा को कहा जाता है जिसे एक देश की सांस्कृतिक पहचान और एकता का प्रतीक माना जाए। यह वह भाषा होती है जो देश के अधिकतर नागरिकों द्वारा समझी या बोली जाती है और जो राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों, भाषणों और संवाद का माध्यम बनती है। राष्ट्रभाषा केवल एक औपचारिक माध्यम नहीं होती, बल्कि वह जनता के दिलों से जुड़ी होती है। कई देशों में राष्ट्रभाषा को संविधान द्वारा मान्यता दी जाती है। राष्ट्रभाषा का चयन अक्सर ऐतिहासिक, सामाजिक और जनसंख्या के आधार पर किया जाता है

इसका मकसद यह होता है कि विविध भाषाओं के बीच भी कोई एक साझा सूत्र हो, जिससे पूरे देश में भावनात्मक एकता बनी रहे। हालांकि, यह ज़रूरी नहीं कि राष्ट्रभाषा हर व्यक्ति की मातृभाषा हो। लेकिन यह भाषा पूरे देश को आपस में जोड़ने का काम करती है। इसे शिक्षा, सरकारी कामकाज और राष्ट्रीय प्रतीकों में प्रमुखता दी जाती है

bharat ki rashtrabhasha kya hai

भारत के संदर्भ में अक्सर यह सवाल उठता है कि देश की राष्ट्रभाषा क्या है। आम धारणा यह है कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है। भारत के संविधान में हिंदी को “राजभाषा” का दर्जा दिया गया है, ना कि “राष्ट्रभाषा” का। यानी हिंदी का उपयोग केंद्र सरकार के सरकारी कार्यों में किया जाता है, परंतु इसे पूरे भारत की एकमात्र राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया गया है। चूंकि भारत एक बहुभाषी देश है, इसलिए यहां की किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा बनाना व्यावहारिक रूप से कठिन था

संविधान निर्माताओं ने इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी भाषाओं को समान सम्मान देने की कोशिश की। हालांकि हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है और कई राज्यों में इसका व्यापक उपयोग होता है। फिर भी यह कहना कि यह भारत की राष्ट्रभाषा है, संविधानिक दृष्टि से सही नहीं है। ऐसे में भारत के पास फिलहाल कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा नहीं है

भारतीय संविधान में भाषा

जब संविधान का निर्माण हो रहा था, तब राष्ट्र भाषा को लेकर गहरी बहस हुई। डॉ॰ अंबेडकर ने संस्कृत को राष्ट्र भाषा बनाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इसे लेकर मतभेद सामने आए। हिंदी समर्थकों और गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों के बीच असहमति के कारण कोई भाषा राष्ट्र भाषा घोषित नहीं हुई। संविधान सभा ने सभी भाषाओं का सम्मान करते हुए किसी एक को राष्ट्र भाषा मानने से इंकार कर दिया। इस फैसले ने भारत की बहुभाषी विरासत को सुरक्षित रखा

संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषा

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की विविध भाषाओं को संरक्षण और मान्यता दी गई है। शुरू में इसमें चौदह भाषाओं को शामिल किया गया था, जो उस समय प्रमुख मानी जाती थीं। समय के साथ नई भाषाओं को भी संविधान में जगह दी गई ताकि सभी भाषाई समुदायों की आवाज़ सुनाई दे सके। 1967 में सिन्धी भाषा को जोड़ा गया, जबकि 1992 में कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को शामिल किया गया। बाद में 2004 में बोड़ो, डोगरी, मैथिली और संथाली जैसी भाषाओं को भी आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया, जिससे यह सूची और भी समृद्ध हुई

संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषा की सूची

हिन्दी भाषाकन्नड़ भाषा
असमिया भाषाकोंकणी भाषा
ओड़िया भाषाबंगाली भाषा
डोगरी भाषापंजाबी भाषा
उर्दू भाषाबोड़ो भाषा
कश्मीरी भाषानेपाली भाषा
गुजराती भाषामराठी भाषा
तमिल भाषामलयालम भाषा
मणिपुरी भाषामैथिली भाषा
संस्कृत भाषासंथाली भाषा
सिन्धी भाषा तेलुगू भाषा

FAQs

प्रश्न – संविधान निर्माण के समय कितनी भाषाएं आठवीं अनुसूची में थीं?
उत्तर – जब संविधान बना, तब आठवीं अनुसूची में कुल 14 भाषाएं शामिल थीं। बाद में कई और भाषाओं को जोड़कर यह संख्या 22 तक पहुंच गई।

प्रश्न – क्या अंग्रेज़ी को भी भारत में संवैधानिक मान्यता मिली है?
उत्तर – जी हां, अंग्रेज़ी को संविधान में सहायक भाषा के रूप में मान्यता दी गई है और आज भी कई सरकारी कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न – हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का विरोध क्यों हुआ था?
उत्तर – कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों को यह डर था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने से उनकी भाषाई पहचान और अधिकारों पर असर पड़ेगा। इसी कारण संविधान सभा ने यह कदम नहीं उठाया।

प्रश्न – क्या आठवीं अनुसूची में और भाषाएं जोड़ी जा सकती हैं?
उत्तर – हां, संसद के निर्णय से आठवीं अनुसूची में नई भाषाएं जोड़ी जा सकती हैं। इसके लिए विधेयक पारित किया जाता है।

प्रश्न – आठवीं अनुसूची में अंतिम बार भाषाएं कब जोड़ी गई थीं?
उत्तर – साल 2004 में चार भाषाएं – बोड़ो, डोगरी, मैथिली और संथाली – को जोड़ा गया था। तब से अब तक कोई नई भाषा शामिल नहीं की गई है।

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