हर व्यक्ति कभी न कभी यह जरूर जानना चाहता है कि उसका आने वाला समय कैसा रहेगा — जीवन में क्या अच्छा होगा, कौन-सी सावधानी बरतनी चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए। यही सवाल लोगों को ज्योतिष विद्या की ओर खींचता है। जब कोई पंडित या एस्ट्रोलॉजर जन्म की तारीख, समय और स्थान के आधार पर भविष्यवाणी करता है, तो यह केवल अनुमान नहीं बल्कि प्राचीन गणनाओं पर आधारित होता है। कई लोग इसे आस्था से जोड़ते हैं, तो कई इसे विज्ञान और अनुभव का संगम मानते हैं। एस्ट्रोलॉजी, यानी ज्योतिष शास्त्र, केवल राशियों की बात नहीं करता बल्कि जीवन के हर पहलू को समझने का प्रयास करता है चाहे वो करियर हो, विवाह हो या स्वास्थ्य
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इस आर्टिकल में हमने एस्ट्रोलॉजी से जुड़ी बुनियादी बातों को सरल भाषा में समझाया है जैसे Astrologer क्या होता है और Astrologer Kaise Bane ताकि नए लोग भी इस विषय को सही नजरिए से जान सकें इस लिए इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़े
Astrologer क्या होता है
ज्योतिष एक ऐसा प्राचीन विज्ञान है, जो केवल भविष्य बताने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इंसान और प्रकृति के गहरे संबंध को समझने का माध्यम भी है। एक ज्योतिषी वह होता है, जो ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों की चाल के ज़रिए जीवन की दिशा को समझने का प्रयास करता है। यह विज्ञान केवल गणनाओं पर नहीं, बल्कि अनुभव, संवेदना और आत्मिक दृष्टि पर भी आधारित होता है। एक कुशल ज्योतिषी जीवन की उलझनों में फंसे व्यक्ति को सही राह दिखाने की कोशिश करता है वह सिर्फ भविष्यवक्ता नहीं होता, बल्कि एक मार्गदर्शक, एक श्रोता और कभी-कभी एक मनोवैज्ञानिक भी होता है
उसकी कही बातों से कई बार लोगों को उस समय हिम्मत मिलती है, जब बाकी रास्ते बंद हो जाते हैं चाहे कोई इसे माने या न माने, लेकिन ऋतुओं से लेकर विवाह, गृह प्रवेश, खेती, नामकरण, और यहां तक कि मृत्यु तक जीवन के हर पड़ाव में कहीं न कहीं इसका स्पर्श ज़रूर होता है। ज्योतिष एक विश्वास है, एक परंपरा है, और कई लोगों के लिए उम्मीद की रोशनी भी।
Astrologer के जनक कौन हैं
ज्योतिष शास्त्र की परंपरा भारत में बेहद प्राचीन मानी जाती है, जिसके जनक के रूप में 18 महान ऋषियों के नाम सामने आते हैं। इनमें सूर्य, व्यास, वशिष्ठ, कश्यप, नारद और भृगु जैसे विद्वान शामिल हैं। भारत में गर्ग, आर्यभट्ट, वराह मिहिर और पाराशर जैसे ज्योतिषाचार्यों ने इस विद्या को नई ऊँचाइयाँ दीं। उन्होंने नक्षत्रों, ग्रहों और राशियों के गहन अध्ययन से भविष्यवाणी की परंपरा को मजबूत किया। आज भी इन विद्वानों की रचनाएं ज्योतिष की नींव मानी जाती हैं
भारतीय ज्योतिष का इतिहास
भारतीय ज्योतिष शास्त्र का इतिहास हजारों साल पुराना है, जिसकी जड़ें वैदिक ज्ञान में गहराई से समाई हुई हैं। प्राचीन काल में नक्षत्रों और ग्रहों की चाल को समझने की जो विद्या थी, वही समय के साथ ‘ज्योतिष’ के रूप में विकसित हुई। इसे केवल विश्वास नहीं, बल्कि खगोलीय विज्ञान का एक भाग माना जाता है। वेदों में भी कई स्थानों पर ज्योतिष के सूत्र और गणनाएं स्पष्ट रूप से देखने को मिलती हैं। भारत के ऋषियों ने इस ज्ञान को पांडुलिपियों में संजोया, जिनमें महर्षि गर्ग का योगदान सबसे विशिष्ट माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अकेले ही एक लाख से अधिक ग्रंथों की रचना की थी। ज्योतिष भारत की सांस्कृतिक विरासत का वह स्तंभ है, जो आज भी समय और दिशा दिखाने में सहायक है
Astrologer में ग्रहों की संख्या
ज्योतिष शास्त्र में कुल नौ ग्रह माने जाते हैं, जिनमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल हैं।
हर ग्रह की अपनी अलग ऊर्जा और प्रभाव होता है, जो इंसान के जीवन में बदलाव लाते हैं।
इनमें से कुछ ग्रहों को शुभ माना गया है, जो जीवन में सहयोग और उन्नति का कारण बनते हैं।
मित्र ग्रह का प्रभाव व्यक्ति की सोच, कर्म और किस्मत पर सकारात्मक असर डालता है।
इसी वजह से कुंडली में ग्रहों की स्थिति को समझना बेहद ज़रूरी माना गया है।
Astrologer Kaise Bane
एस्ट्रोलॉजर बनने की राह उन लोगों के लिए बेहद रोचक होती है जो ब्रह्मांड, ग्रह-नक्षत्र और ज्योतिषीय रहस्यों में रुचि रखते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए कई प्रमाणित कोर्स उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में किए जा सकते हैं। एक अच्छे ज्योतिषी को ग्रहों की चाल, बारह भावों का प्रभाव, शुभ-अशुभ योग और मुहूर्त की गहरी समझ होनी चाहिए। कुंडली मिलान से लेकर जन्मपत्री विश्लेषण तक, हर पहलू में अनुभव ज़रूरी होता है
इसके साथ ही संस्कृत श्लोकों को पढ़ने और उनके भावार्थ समझने की क्षमता भी इस विद्या में आवश्यक मानी जाती है। ग्रहों के बीच के मित्रता और वैर भाव को समझना व्यक्ति के भविष्य की सटीक भविष्यवाणी में मदद करता है। यह भी जानना ज़रूरी है कि किस भाव में कौन-सा ग्रह कैसा फल देगा। अनुभव के साथ-साथ निरंतर अभ्यास से इस विद्या में महारथ हासिल की जा सकती है। एक योग्य एस्ट्रोलॉजर समाज में मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है
एस्ट्रोलॉजर बनने की योग्यता
- एस्ट्रोलॉजर बनने के लिए कम से कम 12वीं पास होना जरूरी होता है, खासकर आर्ट्स स्ट्रीम से।
- इस क्षेत्र में आने वाले व्यक्ति को ग्रह-नक्षत्र, राशियों और ज्योतिषीय गणनाओं में गहरी रुचि होनी चाहिए।
- एस्ट्रोलॉजी में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स या B.A. in Astrology जैसी पढ़ाई किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से की जा सकती है।
- कुंडली मिलान, दशा-अंतर्दशा जैसी गणनाओं के लिए मूलभूत गणितीय और तार्किक समझ जरूरी होती है।
- कई ज्योतिष ग्रंथ संस्कृत में होते हैं, इसलिए इस भाषा की जानकारी उपयोगी साबित होती है।
- एक अच्छे एस्ट्रोलॉजर को लोगों से संवाद करने और उन्हें सहज महसूस कराने की कला आनी चाहिए।
- कुंडली अध्ययन और भविष्यवाणी के लिए मन की शांति और ध्यान केंद्रित करने की आदत होनी चाहिए।
- शुरुआत में अनुभव प्राप्त करने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य के साथ काम करना फायदेमंद होता है।
- ज्योतिष एक संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए लोगों की भावनाओं के साथ ईमानदारी बरतना बहुत ज़रूरी है।
ज्योतिष कैसे सीखे ?
ज्योतिष एक ऐसा प्राचीन विज्ञान है जिसे समझने के लिए ग्रहों की चाल, बारह राशियों और बारह भावों की गहरी जानकारी होनी चाहिए। किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति क्या कहती है और उसका जीवन पर क्या असर पड़ेगा, यह जानना बेहद जरूरी होता है। साथ ही, जब कुंडली में कोई दोष होता है तो उसे पहचानकर उसका समाधान भी ज्योतिष के जरिए ही निकाला जाता है। इस विद्या को सीखने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से मार्गदर्शन लेना सबसे असरदार तरीका है। इसके अलावा विश्वविद्यालयों में उपलब्ध ज्योतिष कोर्स या यूट्यूब चैनलों के माध्यम से भी गहराई से अध्ययन किया जा सकता है। कई मोबाइल ऐप्स भी इस क्षेत्र में शुरुआती जानकारी देने का अच्छा माध्यम बन चुके हैं। धीरे-धीरे अभ्यास और अनुभव से यह विद्या आत्मसात की जा सकती है।
एस्ट्रोलॉजर बनने के लिए कोर्स
- Certificate in Astrology
- Diploma in Astrology
- Bachelor of Arts in Astrology
- Graduate Diploma in Astrology
- Advanced Diploma in Astrology
- Astrologer Acharya
- Palmistry Acharya and Shiromani
- Astrology Shiromani
- Vedic Astrology
- Natal Astrology
- Astrologer Proficient
- Jyotish Bhushan
FAQ
प्रश्न – ज्योतिष क्या होता है और ये कैसे काम करता है?
उत्तर – ज्योतिष एक वैदिक विद्या है जो ग्रहों की चाल और उनके प्रभाव के आधार पर इंसान के जीवन से जुड़ी घटनाओं की भविष्यवाणी करती है।
प्रश्न – क्या कुंडली मिलान शादी के लिए ज़रूरी है?
उत्तर – पारंपरिक दृष्टिकोण से हाँ, कुंडली मिलान से वैवाहिक जीवन की अनुकूलता और भविष्य के योग को समझा जा सकता है।
प्रश्न – जन्म समय न पता हो तो क्या कुंडली बन सकती है?
उत्तर – हाँ, “प्रश्न कुंडली” या “लग्न निकालने” की विधि से ज्योतिषी जन्म समय के बिना भी अनुमान लगा सकते हैं।
प्रश्न – क्या रत्न पहनने से सच में जीवन में बदलाव आता है?
उत्तर – मान्यता है कि सही ग्रह के अनुसार उपयुक्त रत्न पहनने से उसके सकारात्मक प्रभाव मिल सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह विश्वास और अनुभव पर आधारित होता है।
प्रश्न – ज्योतिषी की भविष्यवाणी 100% सही होती है क्या?
उत्तर – नहीं, ज्योतिष संभावनाओं की विद्या है, यह दिशा दिखा सकती है लेकिन निश्चित भविष्य नहीं।
प्रश्न – क्या वास्तु और ज्योतिष में कोई संबंध होता है?
उत्तर – हाँ, दोनों ही जीवन पर ग्रहों और ऊर्जा के प्रभाव की बात करते हैं और कई बार इन्हें एक-दूसरे के पूरक रूप में देखा जाता है।
प्रश्न – मंगल दोष क्या होता है और इसका असर क्या पड़ता है?
उत्तर – कुंडली में मंगल दोष तब बनता है जब मंगल ग्रह कुछ विशेष स्थानों पर स्थित होता है। माना जाता है कि इससे वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है