Tariff Kya Hai | जाने अमेरिका ने किन देशों पर कितना रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया

सोमवार 7 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में ऐसी गिरावट देखने को मिली जिसने हर निवेशक को चुका दिया सेंसेक्स 71,449.94 पर खुला लेकिन ओपनिंग में ही करीब 3914 अंकों की बड़ी गिरावट ने बाजार को झटका दे दिया एक्सपर्ट्स इस तेज गिरावट के पीछे अमेरिका की ट्रंप टैरिफ पॉलिसी को बड़ी वजह मान रहे हैं ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि टेरिफ आखिर होता क्या है और इसकी एक पॉलिसी कैसे ग्लोबल इकोनामी की इकोनामी को हिला सकती हैं इस आर्टिकल में हम आपको बेहद आसान भाषा में समझाएंगे कि Tariff Kya Hai और इससे भारत को क्या असर पड़ सकता है पूरी जानकारी को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें

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Tariff Kya Hai

टैरिफ का मतलब होता है किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं पर लगाया गया टैक्स या शुक्ल इसे आम भाषा में आयात शुल्क भी कहते हैं जब कोई विदेशी सामान आपके देश में आता है तो उसे पर सरकार एक निश्चित फीस लगाती है यही टैरिफ कहलाता है इसका उद्देश्य देश की अपनी इंडस्ट्री को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना होता है टैरिफ की मदद से सरकारे अपने बाजार को संतुलित करती है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है यह एक आर्थिक टूल होता है जिसका उपयोग देश की सुरक्षा व्यापार नियंत्रण और टैक्स वसूली के लिए किया जाता है हर देश के लिए टैरिफ की भूमिका अलग हो सकती है लेकिन उद्देश्य लगभग एक ही होता है

टैरिफ कार्य क्या है

टैरिफ का सबसे बड़ा कार्य देश के उद्योगों की रक्षा करना होता है ताकि घरेलू उत्पाद सस्ते विदेशी सामान की वजह से प्रभावित न हो यह स्थाई व्यापारियों और फैक्ट्रियो को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा देता है टैरिफ सरकार को राजस्व कमाने में भी मदद करता है क्योंकि हर आयात पर एक फीस लगती है इसके अलावा यह किसी देश की राजनीतिक नीति कभी हिस्सा बनता है जैसे कि किसी देश को टारगेट करके उसे पर भारी टैरिफ लगाना टैरिफ से सरकारी यह भी तय कर सकती है कि कौन से प्रोडक्ट देश में आसानी से आए और कौन से नहीं इसका उपयोग कभी-कभी पर्यावरण या स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी होता है कुल मिलाकर टैरिफ व्यापार को कंट्रोल करने का एक हम साधन है

टैरिफ के प्रकार

टेरिफ मुख्यतः कई प्रकार के होते हैं और इनका चुनाव देश की आवश्यकताओं के अनुसार होता है जैसे

1. इंपोर्ट टेरिफ

यह टैरिफ कब लगाया जाता है जब कोई देश बाहर से सामान मंगवा आता है इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना होता है इससे विदेशी सामान महंगा हो जाता है और लोकल चीजे बिकती है

2. एक्सपोर्ट टैरिफ

यह शुल्क उस स्थिति में लगाया जाता है जब कोई देश अपना सामान विदेश भेजता है इसका उद्देश्य जरूरी वस्तुओं की घरेलू उपलब्धता बनाए रखना होता है साथ ही सरकार को राज्यस्व भी मिलता है

3. ऐड वालोरैम टैरिफ

इसमें शुल्क वास्तु के मूल्य के अनुपात में लगाया जाता है जैसे 10% कीमत पर जितनी ज्यादा कीमत उतना ज्यादा टैक्स यह प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है

4. स्पेसिफिक टैरिफ

यह एक फिक्स अमाउंट होता है जैसे 100 रुपए प्रति किलो माल पर यह वस्तु की कीमत से नहीं बल्कि मात्र से जोड़ा जाता है इससे गणना सरल हो जाती है

5. मिक्सड टैरिफ

इसमें एड वालोरेम और स्पेसिफिक दोनों तरह के शुल्क होते हैं जैसे 50 रुपए प्रति यूनिट + 5% मूल्य इसका उपयोग जटिल ट्रेंड कंट्रोल के लिए किया जाता है

6. प्रोडक्टिव टैरिफ

इस टैरिफ का उद्देश्य देश के अंदरूनी उद्योगों को प्रोटेक्शन देना होता है इससे विदेशी वस्तुएं महंगी होकर कम बिकती है यह अक्सर विकासशील देशों में उपयोग होता है

सरकारें टैरिफ क्यों लगाती हैं

सरकारे टैरिफ इस लिए लगती है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिले जब विदेशों से सस्ते प्रोडक्ट आ जाते हैं तो स्थानीय व्यापारी नुकसान में आ सकते हैं टैरिफ इसे रोकता है यह टेक्स सरकार को आमदनी देता है जिससे वह देश में विकास कार्यों पर खर्च कर सके कुछ मामलों में टैरिफ विदेशी कंपनियों पर दबाव बनाने का एक तरीका भी होता है सरकारे इसे पर्यावरण स्वास्थ्य और सामाजिक कारणों के लिए भी उपयोग करती है कभी-कभी यह किसी देश के खिलाफ शक्ति दिखाने के लिए लगाया जाता है यानी टैरिफ केवल टैक्स नहीं एक राजनीतिक हथियार भी है

अमेरिका ने किन देशों पर कितना रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया?

 देश का नामटैरिफ प्रतिशत (%)
चीन 54%
कंबोडिया 49%
लाओस 48%
वियतनाम 46%
 श्रीलंका 44%
म्यांमार 44%
बांग्लादेश 37%
 थाईलैंड 36%
ताइवान 32%
इंडोनेशिया 32%
पाकिस्तान 29%
भारत 27%
कजाकिस्तान 27%
साउथ कोरिया 25%
जापान24%
मलेशिया 24%
ब्रुनेई 24%
फिलीपींस 17%

भारत अमेरिका से ज्यादा टैरिफ क्यों लेता है

भारत में टैरिफ ज्यादा इसलिए होता है क्योंकि देश अपनी घरेलू इंडस्ट्री को सस्ते विदेशी माल से बचना चाहता है भारत एक विकास विकासशील देश है जहां बहुत सारी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स अभी ग्रंथ की स्थिति में है अगर बिना टैरिफ के विदेशी सामान आ जाए तो यहां के लोकल व्यापारी और छोटे उद्योग टिक नहीं पाएंगे इसके अलावा भारत को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक सर्विसेज के लिए फंड चाहिए होता है जो टैरिफ के माध्यम आ सकता है अमेरिका जैसे विकसित देश की तुलना में भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में संतुलित बनाने के लिए यह आवश्यक लगता है इसलिए टैरिफ केवल पैसा कमाने का तरीका नहीं बल्कि एक सुरक्षात्मक दीवार भी है

भारत को इसका क्या नुकसान हो सकता है

टैरिफ ज्यादा लगने से भारत को कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जैसे

पहला विदेशी कंपनियां व्यापार करने में हिचकिचाहट महसूस करती है जिससे इन्वेस्टमेंट में कमी आती है दूसरा जब दूसरे देश से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते हैं तो भारत के उत्पाद विदेश में महंगे हो जाते हैं इससे भारतीय एक्सपोर्ट्स का नुकसान होता है | तीसरा उपभोक्ताओं को महंगे विदेशी सामान खरीदने पड़ते हैं क्योंकि उस पर टैक्स ज्यादा होता है इसके अलावा यह देश की ग्लोबल ट्रेड पॉलिसी को प्रभावित करता है और व्यापार समझौते बिगड़ सकते हैं इसलिए टैरिफ एक बैलेंसिंग गेम है सही मात्रा में हो तो फायदा करना उल्टा असर

ट्रंप से पहले क्लिंटन, टैरिफ का इतिहास

टैरिफ की राजनीति अमेरिका में बहुत पुरानी है ट्रंप से पहले भी कई राष्ट्रपतियों ने इसका उपयोग किया है 1990 के दशक में क्लिंटन प्रशासन ने टैरिफ के बदले में फ्री ट्रेंड को बढ़ावा देने की नीति अपनाई थी जैसे NAFTA लेकिन धीरे धीरे टैरिफ वापसी करता गया खासतौर पर जब देश की इंडस्ट्री विदेशी प्रोडक्ट से प्रभावित होने लगी बुश और ओबामा प्रशासन ने भी कुछ मामलों में टैरिफ का सहारा लिया लेकिन ट्रंप ने इसे एक बड़े हथियार की तरह उपयोग किया उनका नारा था अमेरिका फर्स्ट और इसके तहत उन्होंने चीन और भारत समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए इस इतिहास से हमें पता चलता है की टैरिफ केवल व्यापार नीति नहीं बल्कि एक राजनीतिक बयान भी होता है

टैरिफ के लाभ और हानियाँ

  • घरेलू उद्योग को लाभ तब होता है जब विदेशी चीज महंगी कर दी जाती है जिससे लोग देशी प्रोडक्ट्स की ओर मुड़ते हैं
  • सरकार को टैरिफ से अच्छा खासा टैक्स मिल जाता है जो देश के विकास में काम आता है
  • जब लोकल फैक्ट्रियां बढ़ती है तो जाहिर है कि नौकरी के मौके भी साथ-साथ बढ़ते हैं
    विदेशी सामान पर कंट्रोल मिलने से देश अपने बाजार को संतुलित रख सकता है
  • लेकिन हर चीज की एक कीमत होती है टैरिफ से अक्सर आम लोगों को चीज महंगी मिलने लगती है
  • सस्ते और बेहतर विकल्प जब बाहर से नहीं आ पाते तो कस्टमर को सिमित चीजों में ही काम चलना पड़ता है
  • अगर एक देश टैरिफ बढ़ता है तो दूसरा देश भी जवाबी कदम उठाता है जिससे ट्रेंड पर असर पड़ता है
  • कभी-कभी इस वजह से दो देशों के बीच कल ही आ जाती है जो केवल व्यापार नहीं रिश्तो को भी बिगाड़ सकती है

FAQs

प्रश्न – क्या टैरिफ केवल विदेश से आने वाले सामान पर लगता है?
उत्तर – हाँ टैरिफ आमतौर पर आयतित वस्तुओ पर ही लगाया जाता है

प्रश्न – क्या टैरिफ से देश को लाभ होता है?
उत्तर – अगर सही से लागू किया जाए तो हां यह देश की अर्थव्यवस्था को ताकत देता है

प्रश्न – क्या टैरिफ महंगाई बढ़ा सकता है ?
उत्तर – हां क्योंकि विदेश से आने वाले सामान महंगा हो जाता है

प्रश्न – क्या भारत टैरिफ हटाने की सोच रहा है ?
उत्तर – कुछ व्यापार समझौतो में भारत ने टैरिफ कम किया है लेकिन पूरी तरह नहीं हटाया

प्रश्न – क्या टैरिफ से विदेशो के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं ?
उत्तर – हां अगर ज्यादा टैरिफ लगाया जाए तो देश एक दूसरे पर जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं

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