भारत एक संघीय राष्ट्र है जहां केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तिओ का संतुलित विभाजन किया गया है यह विभाजन संघ सूचि , राज्य सूचि और समवर्ती सूचि के माध्यम से स्पष्ट किया गया है संघ सूचि में रक्षा , विदेश निति और संचार जैसे विषय आते है जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकते है राज्य सूचि में कृषि , स्वास्थ्य और पुलिस जैसे विषय होते है जिन पर राज्य सरकारों का नियंतरण होता है समवर्ती सूचि में शिक्षा और पर्यावरण जैसे विषय शामिल होते है
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जिन पर दोनों सरकारे कानून बना सकती है यदि किसी विषय पर राज्य और केंद्र के कानूनो में टकराओ होता है तो केंद्र सर्कार का कानून मान्य होता है यह प्रणाली शासन को प्रभावी बनती है और भारत के संघीय ढांचे को मज़बूती प्रदान करती है इन सूचि के द्वारा राज्य सरकार और केंद्र सरकार की शक्तियों के विषय में स्पष्ट जानकारी दे गई है इस लिए इस लेख को अंत ता पढ़े
sangh suchi rajya suchi samvarti suchi kya hai
जैसे हम आपको बता चुके है कि भारतीय सविधान में केंद्र और राज्य सरकारों की शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है ताकि शासन प्रभावी और संतुलित रहे यह विभाजन तीन रूप में निर्धारित है। जैसे
- संघ सूचि
- राज्य सूचि
- समवर्ती सूचि
संघ सूचि
संघ सूचि में रक्षा ,विदेश नीति ,संचार और मृदा जैसे विषय आते है जिन पर केवल कांड सरकार कानून बना सकती है ये विषय राष्ट्रीय महत्व के होते है और पूरे देश पर सामान्य रूप से लागू होते है
संघ सूचि के प्रमुख विषय
- रक्षा
- विदेश नीति
- संचार और डाक सेवाए
- मृदा और बैंकिंग
- नागरिकता और प्रव्रजन
- परमाणु ऊर्जा
- रेलवे और रास्ट्रीय राजमार्ग
- अंतरिक्ष और वैज्ञानिक अनुसांधन
- प्राकृतिक संसाधनों को नियत्रण
- राजस्व और कार
राज्य सूचि
राज्य सूचि में कृषि , स्वास्थ्य पुलिस और भूमि जैसे विषय शामिल है जिन पर राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है यह राज्यों की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नीति निर्माण में सहायता करता है
राज्य सूचि के प्रमुख विषय
- पुलिस और कानून व्यवस्था
- स्वास्थ्य और अस्पताल
- कृषि और भूमि सुधार
- शिखा राज्य स्तर तक
- राज्य परिवहन
- जल आपूर्ति और सिचाई
- बाजार और व्यापर
- वन और पशु पालन
- उद्योग
- मनोरंजन
समवर्ती सूचि
समवर्ती सूचि शिक्षा पर्यावरण और श्रम कानून जैसे विषय आते है जिन पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारे कानून बना सकती है यदि दोनों के कानूनो में विरोध होता है तो केंद्र सरकार का कानून प्राथमिकता प्राप्त करता है
समवर्ती सूचि के प्रमुख विषय
- शिक्षा
- दंड विधि और आपराधिक कानून
- श्रम कानून और रोज़गार
- वन और पर्यावरण संरक्षण
- जनसंख्या नियंत्रण और परिवार कलयाण
- विद्युत और जल संसाधन
- विवहा और तलाक
- सिविल प्रक्रिया और अनुबंध
- व्यापर और उद्योग
- मूल्य नियंत्रण और आवश्यक वस्तुए
यदि कोई विषय किसी भी सूचि में न हो तो ?
हाँ कुछ ऐसे विषय भी हो सकते है जो संघ सूचि , राज्य सूचि और समवर्ती सूचि में शामिल नहीं होते ऐसे मामलो में केंद्र सरकार को विशेष अधिकार प्राप्त होते है सविधान के अनुसार जो विषय किसी भी सूचि में नहीं आते उन पर कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्रीय सरकार के पास होता है इसे अवशिष्ट शक्ति कहा जाता है यह अधिकार सविधान के अनुछेद 248 के तहत केंद्र को सोपा गया है जिससे वह ऐसे नय और आधुनिक विषयो पर कानून बना सके जो सविधान निर्माण के समय उपलब्ध नहीं थे
अवशिष्ट शक्तियों के अंदर आने वाले कुछ मुख्य विषय
- साइबर सुरक्षा और डिजिटल अपराध
- स्पेस टेक्नोलॉजी और उपग्रह संचार
- आधुनिक विज्ञानं और जैव प्रोधोगिकी
- ई – कॉमर्स और डिजिटल मृदा
संघ , राज्य और समवर्ती सूचि में विषयो की संख्या समय समय पर संशोधित की जा रही है यदि आप इस विषय पर अधिक जानकारी चाहते है तो सविधान के प्रसांगिक अनुछेदो को पढ़ सकते है या विश्वसनीय स्त्रोत से जानकारी प्राप्त कर सकते है
प्रश्न – अवशिष्ट शक्ति किसे मिलती है ?
उत्तर – केवल केंद्र सर्कार को
प्रश्न – क्या सूचि बदली जा सकती है ?
उत्तर – हाँ सविधान संशोधन से
प्रश्न- समवर्ती सूचि में कितने विषय है?
उत्तर – 52 विषय संविधान के अनुसार